HeartBeats in Hindi Love Stories by Parth J Ghelani books and stories PDF | HeartBeats

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Parth J. Ghelani

Disclaimer

ALL CHARECTERS AND EVENT DEPICTED IN THIS STORY IS FICTITIOUS.

ANY SIMILARITY ANY PERSON LIVING OR DEAD IS MEARLY COINCIDENCE.

इस वार्ता के सभी पात्र काल्पनिक है,और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई संबध नहीं है | हमारा मुख्य उदेश्य हमारे वांचनमित्रो को मनोंरजन करना है |

आरोही

आज में बहोत ही ज्यादा खुश थी,क्योंकि आज मेरा इंजिनयरिंग कोलेज में पहेला दिन था | में और मेरी सहेली प्रिया हम दोनों आज समय से पहेले ही कोलेज पर पहोंच गए | आज तक कोलेज को सिर्फ फिल्म या सीरियल में देखा था तो आज हम असली कोलेज देखने के लिए मर रहे थे,कोलेज लाइफ को जीने के लिए मर रहे थे |

कोलेज में हम हमारे क्लास को ढूंढते हुये पहोंच गए और जिस बेंच पे जगह थी वंहा पे जाके बेठ गए | थोड़ी देर में क्लास में नए नए स्टूडन्ट आने लगे और अपने अपने दोस्तों के साथ जगह बनाकर बेठ गए |

में और प्रिया अपनी जगह पे बैठकर सबको आते हुये देख रहे थे,और उसको दस में से पॉइंट्स दे रहे थे | हम दोनों अभी भी बात ही कर रहे थे की अचनाक से एक लड़का क्लास में आकर बोला,

कम्प्यूटर 1st year का क्लास यही है??

तो हमारे क्लास में पहेली बेंच पे बैठे हुये लड़के ने कहा,हां जी यही है |

और वो आके अपनी एक जगह पसंद करके बेठ गया लेकिन मेरी नजर तो उसपे ही टिकी हुयी थी तब अचानक से प्रिया बोली,

आरोही तुमने देखा उसको??

हां,वो क्लास में आया तभी से उसी को देख रही हु,मेरी और से उसको दस में से बारह पॉइंट.मेंने प्रिया को कहा

मेरी और से पंद्रह पॉइंट,और आज से वो तुम्हारा जीजाजी तो अब से तुम उसकी साली बन्ने की कोशिश मत करना,समजी आरोही??प्रिया मेरी और देख के बोली

ओय,पागल ये लाईन मेरी है,तू क्यों बोली??मेने प्रिया को कहा

नहीं,आज से में उसपे ही लाईन मारूंगी तुम कोई और लेलो.प्रिया बोली

नहीं,तुम कोई दूसरा ढूंढो समजी.मेंने प्रिया से कहा

ओके,हम दोनों ही उसपे लाईन मारेंगे लेकिन वो किसे पसंद करेगा उसके पर हमारा अगला निर्णय रहेगा समज गई??प्रिया ने मेरी और देख के बोला..

ओके,लेकिन उसका नाम क्या है??मेने प्रिया से पूछा

मुझे क्या पता??प्रिया बोली

ओके,तो आज हम पता लगा लेंगे | मेने प्रिया को कहा

हम दोनों बात ही कर रहे थे की हमारे क्लास में प्रोफ़ेसर आये और आते ही बोलना शुरू,जिसमे उन्होंने पहेले उसका इंट्रोडक्शन दिया,उसकी डिग्री,उसका अनुभव...और फिर हमारी तरफ देख के बोले मेने मेरा इंट्रोडक्शन दे दिया अब तुम लोगो की बारी,चलो एक एक करके अपना नाम और कंहा से हो वो सब बताओ..

ये सुनते ही मेरे अंदर एक डर सा छा गया लेकिन अब तो ये करना ही था | धीरे धीरे सभी अपने बारे में अपनी बेंच पे खड़े होकर बोलने लगे |

मुझे तो किसी के भी नाम में कुछ इंटरेस्ट ही नहीं था क्युकी मुझे तो सिर्फ एक ही लड़के का नाम जान में इंटरेस्ट था और आखिर में उसकी बारी भी आ गई और वो खड़ा हुवा तो मेरी नजर बस उसपे ही टिकी हुयी थी,

ब्लेक कलर फुल स्लीव टीशर्ट,क्लीन शेव,डेनिम के जींस में वो कुछ ज्यादा ही हेंडसम लग रहा था में ये सब ही सोच रही थी की वो बोला,

मेरा नाम प्रेम है,प्रेम पटेल फ्रॉम सूरत | नाम सुनते ही में उसके आवाज पे फ्लेट हो गई | जेसे ही प्रेम अपना नाम बोला की मेरे पेट पे प्रिया ने मुझे मारा और बोली,

वावव..जोरदार आवाज है यार इसकी तो |

हम्म,मेने सिर्फ उतना ही जवाब दिया और उसीके बारे में सोचने लगी | उसके बारे में ही सोचते सोचते मेरी बारी कब आई वो मुझे पता ही नहीं चला | में अपनी बेंच पे खड़ी हुयी और बोली..,

प्रेम

में अपना इंट्रोडक्शन देके वापस अपनी जगह पे बेठ गया और दुसरे लोगो का इंट्रो सुनने लगा ये सोचकर की शायद मुझे क्लास में से कोई सूरत वाला मिल जाये तो कुछ बात बनजाये,और हुवा भी एसा क्योंकि मेरे पीछे वाली बेंच पे एक लड़का बेठा था जो सूरत से था और उसने अभी अभी उसका नाम आशीष बताया | में आशीष के साथ रिसेस में बात कर लूँगा एसा सोचा और वापस दुसरे लोगो को सुनने लगा |

अभी सब लडकिया अपने बारे में इंट्रोडक्शन दे रही थी और में भी सभी को अच्छी तरह से देख रहा था,क्योंकि किसको पता इनमे से ही मेरे दोस्तों को उसकी भाभी मिल जाये | आखिर बीस या इक्कीस लड़की के इंट्रो के बाद एक लड़की अपना इंट्रो देने के लिए अपनी जगह पे खड़ी हुयी और मेरी नजर उसपे ही अडी रही..और मेरे पास में बेठा हुये लड़के के मुह से तो लिटरली वाव्व्व निकल गया...

जेसे ही वो खड़ी हुई तो मेने उसी की और देखा क्युकी क्या लग रही थी वो,करीबन 5’7” जितनी ऊंचाई थी,लाईट ब्लू कलर का फुल स्लीव सलवार,खुल्ले सिल्की बाल थे जिस पर खिड़की में से सूर्य की किरणे आके गिर रही थी जिसके कारण वो बाल बहोत ही खुबसूरत लग रहे थे,उसके लेफ्ट हाथ में शायद टायटन रागा की घडी थी,उसके राइट हाथ पर एक ब्रेसलेट था जिसपे गणपति का पेंडल लगा हुबा था,उसके कपाल पर बिचमे एक ब्लू कलर की एकदम छोटी सी बिंदी थी,उसके कान में भी ब्लू कलर की एयरिंगस थी जो उसपे बिलकुल जज रही थी,और भी बहोत कुछ था लेकिन अब उसका कोई वर्णन नहीं है मेरे पास |

अब में उसका नाम जानने के लिए बेताब था इस लिए उसके आवाज की और कान लगाकर बेठ गया और वो बोली लेकिन मुझे तो नही क्लास में किसी को भी कुछ सुनाई नहीं दिया |

जरा जोर से बोलो किसी को नहीं सुनाई दिया,सर ने उसकी और देख के बोला.

जी,आरोही शर्मा फ्रॉम नवसारी.

हम्म,तो आरोही नाम है इसका..अच्छा नाम है में अकेले ही मेरे मन में बड बड कर रहा था | अभी तक मेरे पास कोई वजह नहीं थी क्लास में बेठने की लेकिन अब मेरे पास वजह थी | अभी तक में अपने आप को अकेला महसूस कर रहा था लेकिन अब मुझे इस नए क्लास में कोई अपना सा लगने लगा था |

आज पहेला दिन था तो सर अपने हिसाब से हम सब को एक्जाम की मेथडस के बारे में समजा रहे थे लेकिन मेतो अपनी अलग सी दुनिया में ही खो गया था | सब के इंट्रो में ही मेरा इंजिनयरिंग का पहेला लेक्चर्स ख़त्म हो चूका और तुरंत ही दुसरे प्रोफेसर भी अंदर आ गए और अगले लेक्चर्स का पुनरावर्तन किया मतलब खुद का इंट्रो,हमारा इंट्रो,एक्जाम्स की मेथड वगेरा वगेरा...| दूसरा लेक्चर्स भी इसे ही खतम हो चूका और अब वक्त था एक छोटे से ब्रेक का और में ब्रेक में भी बहार जाना नहीं चाहता था,में आरोही को जी भर के देखना चाहता था,उसकी आँखों में डूबना चाहता था लेकिन ये नहीं हो सका मेरे दोस्तों की वजह से..

दूसरी ब्रांच में मेरे साथ ही पढ़ते हुये मेरे दोस्त का मेरे पे फोन आया की बहार आ हम खड़े है | आज पहेला दिन था तो सोचा हम जो ग्रुप में आये है उसके आलावा कोई दोस्त नहीं है इस लिए में बहार जाता हु और मिलता हु और में क्लास से एक बार आरोही को देखकर बहार निकल रहा था की मेरे पीछे से आवाज आयी,

हेय,प्रेम..

हम्म...क्या में??मेने उसकी और देख के बोला

या,हेल्लो मेरा नाम आशीष है और में भी सूरत से हु,यंहा पर अकेला था इसलिए सोचा के तुमसे बात करू.आशीष ने मुझे कहा

ओके,में भी सोच रहा था की मुझे कोई सूरत का मिल जाये तो मजा आ जाये और तुम मिल गए | मेने आशीष से कहा

तो में तुम्हारे साथ चल सकता हु??आशीष ने मुझसे पूछा

हा,क्यों नहीं??चलो में मेरे दुसरे दोस्तों से मिलवाता हु | मेने आशीष से कहा और हम दोनों बात करते करते बहार निकल गये |

आरोही

जब में अपना इंट्रोडक्शन देने के लिए खड़ी हुई तो मेरा ह्रदय जोर जोर से धडकने लगा | एक तरफ प्रेम और दूसरी और में पहेलिबार इतने सारे लोगो के बिच खड़ी हुयी थी अपने आप के बारे में बोलने के लिए |

हम इन्सान भी अजीब है क्योंकि जिसके बारे में हमें कुछ पता नहीं होता है उस पर तो हम बहोत ही गप्पे मारते है,लेकिन हमारे बारे में जब खुद के बारे में बोलने को कहो तो अपने मुह से कुछ नहीं निकलता एसा क्यों??

जेसे तेसे करके मेरे मुह से आवाज निकली और में अपना नाम बोली,लेकिन धत तेरी की किसी को भी नहीं सुनाई दि,तो सर मेरी और देख के बोले.

जरा जोर से बोलो किसी को नहीं सुनाई दिया |

जी,आरोही शर्मा फ्रॉम नवसारी | मुज में जितनी ताकत थी वो लगाकर बोली और बेठ गई |

ये लेक्चर्स ख़त्म हुवा तो दुज्जा शुरू हुवा जिसमे भी वही करवाया जो अगले लेक्चर्स में किया और दूसरी बार भी जेसे तेसे कर के मेने अपना इंट्रो दे दिया | अब वक्त था एक ब्रेक का तो प्रिया ने मुझसे कहा चल आरोही बहार जाके आते है |

नहीं,यार यंही पर बेठना मुझे प्रेम को देखना है | मेने प्रिया से कहा

और प्रिया ने प्रेम की तरफ देखा और बोले पर वो तुम्हे देखना ही नहीं चाहते उसका क्या??प्रिया ने मुझसे कहा

तो क्या हुवा??में तो देख सकती हुना उसे,बस वो बहार ना जाये यंही पर बेठा रहे | मेने प्रिया की और देख के बोला

देखो,वो तो चले बहार |प्रिया ने प्रेम को बहार जाते हुये देखा और मुजसे उसकी उसकी तरफ पॉइंट करते हुये बोली

में उन्हें बहार जाते हुये नहीं देख सकती थी लेकिन उसको रोकू भी तो केसे?? ये सब सोच रही थी की अचानक हमारे क्लास के दुसरे लड़के ने उसे बुलाया तो मेंने मन में ही उसे थेंक यु बोल दिया और भगवान से प्राथना की के प्लीज़ वो बहार न जाये...लेकिन आखिर में दो मिनिट के बाद वो दोनों ही बहार चले गए और में पिछे से सिर्फ उसकी पीठ को ताकती रही |

लेकिन मेरा मन ही नहीं भर रहा था,मतलब जितना उसको देखो उतना ज्यादा मन करता है उसको देखने का यही सोचकर मेंने प्रिया से कहा चलो प्रिया,बहार जाते है |

क्यों??अभी तक तो बहार जाने से मना कर रही थी ना? अब ये अचानक क्या हो गया?? प्रिया ने मुझसे कहा

अरे,मेरी माँ मुझे वोशरुम जाना है | मेने प्रिया से कहा

ओके,चलो वेसे इस बहाने में भी उसको देख लुंगी | प्रिया ने मुझसे हसते हसते कहा और हम दोनों क्लास से बहार निकल गए...

प्रेम

यार,कितनी देर लगा दि तुमने तो आने में | बहार खड़े हुये अतुल ने मुझसे कहा

अरे,माफ़ करदे मुझे बस,और इनसे मिलो ये हे आशीष ये भी सूरत का ही रहने वाला है और मेरे ही क्लास में है | मेने आशीष की और इशारा करके सभीको कहा

हेल्लो,आशीष ने सबसे कहा

ये अतुल,जीतू,चेतन,पियूष(बापू),फ्रॉम सिविल,ये केयूर फ्रॉम ऑटोमोबाइल,ये रश्मीन फ्रॉम मेकेनिकल मेने सबसे आशीष का इंट्रोडक्शन दिया और हम सब अब अपने पहेले दिन के बारे में बातचीत कर रहे थे के तभी अचानक चेतन बोला,

माय गॉड!!! क्या माल है यार देख तो सही |

हा यार कसम से जोरदार है | अतुल बोला

सालो तुम दोनों चुप रहो,ये तुम्हारी भाभी है | जीतू उन दोनों को चुप कराते हुये बोला

यार,तुम भी कमाल करते हो,पहेले ही दिन से शुरू??मेने इन सबको कहा

यार,दिन पहेला हो या आखिरी जो सही है वही बोल रहे है | क्यों यारो??जीतू ने सबसे पूछते हुये कहा

हां,यार सही है | वेसे नही हमारे क्लास में तो कोई लड़की है ही नहीं | रश्मीन बोला

किसने कहा था मेकेनिकल रखने को?? चेतन बोला

हम्म,मेने पहेले ही कहा था सबसे ज्यादा स्कोप कम्प्यूटर में ही होता है,और मेरी सिक्स्सेंस की मानो तो ये लड़की कंप्यूटर से ही होनी चाहिए | केयूर बोला

हेय,प्रेम पीछे देख के बता तो ये तेरे क्लास में हे की नहीं??अतुल बोला

में इन सब में तुम्हारी कुछ भी मदद नहीं करने वाला समजे,और में देखना भी नहीं चाहता | मेने साफ साफ अतुल को बोला

अरे,घोछु एक बार पीछे मुड के तो देख | अचानक से पियूष यानि बापू बोला

मेंने पीछे मुड के देखा तो वंहा और कोई नहीं बल्कि आरोही थी | उसको देखते ही में उसमे खो गया और उसको ही देखने लगा | में उसे देख ही रहा था की उसकी नजर भी मेरी और हुयी,और बस में उसकी आँखों में ही खो गया...

“Love can’t be Express with Lips, That’s why the reason that in Love,Eyes Become Lips. ”

To be Continue…

में आप सभी का दिल से आभारी हु की आपने मेरी पहेली नावेल “लव जंक्शन” को दिलसे अपनाया,और दिल से हर चेप्टर के बाद आपके कीमती रिव्यू देने के लिए |

लव जंक्शन के बाद में फिर से आपके सामने ये नई,छोटी सी और सच्ची लव स्टोरी प्रेजेंट करना चाहता हु और मुझे उम्मीद है की लव जंक्शन कि तरह आप इसे भी अपनाएंगे और उसी की तरह प्यार करेंगे |

Parth J Ghelani

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